अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां अनिश्चितता का माहौल है. इस वजह से भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों के निर्यात में उछाल देखने को मिल सकता है. अफगानिस्तान से बड़े पैमाने पर कालीन यूएस और जर्मनी सहित कई देशों में निर्यात किया जाता है,अफगानिस्तानमेंतालिबानकेकब्जेकाभारतीयकालीनउद्योगपरभीअसरमुमकिनबढ़सकताहैनिर्यात लेकिन मौजूदा माहौल में उनके ऑर्डर पूरे करना अफगानिस्तान के लिए बड़ी चुनौती है. ऐसे में अमेरिका-जर्मनी सहित कई देशों के खरीददार भारतीय कालीनों की तरफ रुख कर सकते हैं.अफगानिस्तान में सिर्फ हस्तनिर्मित कालीनों की बुनाई कर उसका एक्सपोर्ट किया जाता है. अफगानिस्तान के सबसे बड़े ग्राहक अमेरिका और जर्मनी हैं. इटली, कनाडा, स्विट्जरलैंड, मेक्सिको में भी अफगान कालीनें जाती हैं. पाकिस्तान भी अफगानिस्तान का एक बड़ा ग्राहक है. पाकिस्तान अफगानिस्तान से कालीन आयात कर उसे दूसरे देशों में भेजता है.अब अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे की वजह से अशांति का माहौल है. इस वजह से कालीन निर्यात में गिरावट हुई है जो आगे भी जारी रह सकती है. कारपेट एक्सपोर्ट की प्रमोशन काउंसिल के प्रशासनिक सदस्य संजय गुप्ता ने कहा कि यह अफगानिस्तान के लिए दुख की घड़ी है. भारतीय कालीन निर्यातकों का दावा है कि अफगानिस्तान जैसी क्वालिटी के कालीन उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में बनते हैं और कश्मीर भी इसका बड़ा उत्पादक है. बीते वर्ष में भारत से 13 हजार करोड़ से अधिक की कालीनें विदेशो में निर्यात हुई हैं जिसमे भदोही का एक बड़ा हिस्सा है.()